Homeज्ञानमहज़ 12 साल की उम्र में कंपनी का सीईओ बना ये बच्चा!

महज़ 12 साल की उम्र में कंपनी का सीईओ बना ये बच्चा!

हर बच्चे का सपना होता है कि वह अपनी स्कूल लाइफ में एक बार क्लास का मॉनिंटर ज़रूर बने, ताकि पूरी क्लास में उसकी एक अलग पहचान हो। लेकिन क्लास का मॉनिंटर बनने का मौका हर बच्चे को नहीं मिलता, क्योंकि हर बच्चे में योग्यता और कक्षा को संभालने की प्रतिभा नहीं होती है।

वैसे ऐसी योग्यता सब में नहीं होती पर कुछ विलक्षण प्रतिभा वाले बच्चे तो हर तरह के स्कूल में होते हैं. आमतौर पर मिडिल स्कूल तक पहुंचते-पहुंचते किसी ना किसी को तो यह सौभाग्य मिल ही जाता है. पर क्या कभी सुना है कि महज नौ साल की उम्र में कोई बच्चा अपनी खुद की वेबसाइट लांच कर दे…!

जी हां, नौ साल के बच्चे जिनसे ये उम्मीद की जाती है कि वो सलीके से स्कूल जाएं और अपनी पढ़ाई पर ध्यान दें उस उम्र में मुंबई के अद्वैत रवींद्र ठाकुर अपनी खुद की वेबसाइट लांच कर दी थी और उम्र के दोगुना होने से पहले ही अपनी कंपनी खोलकर उसके सीईओ बन गए। इतना ही नहीं आज वो गूगल जैसे समूह के साथ काम करके सैकड़ों लोगों को रोजगार दे रहे हैं।

तो चलिए अद्वैत ठाकुर के करिश्में के बारें में आपको कुछ और विस्तार से बताते हैं!


कुल लोग खास होते हैं।

वैसी ही कुछ शुरुआत अद्वैत की भी हुई। अद्वैत के पिता रविंद्र ठाकुर एक आईटी इंजीनियर थे। सो उनके गुण बेटे में ट्रांसफर होने में ज्यादा वक्त नहीं लगा। रविंद्र जब कभी घर पर बैठ कर कम्प्यूटर पर कोडिंग किया करते थे, अद्वैत बहुत हैरानी के साथ उन्हें देखते थे। बेटे की दिलचस्पी देखकर रवीन्द्र ने उसे महज 6 साल की उम्र में कम्प्यूटर का बेसिक पाठ पढ़ा दिया।

फिर क्या था, बच्चे के हाथ से खिलौने छूटा नहीं कि उंगलियां कीबोर्ड से खेलने लगीं 9 साल की उम्र में ही अद्वैत को इंटरनेट की अच्छी खासी समझ हो गई और उन्होंने इंटरनेट सल्यूशन देने वाली एक वेबसाइट बना डाली। इस प्रतिभा को पिता का साथ मिला और वेबसाइट चल पड़ी।

कुछ साल ऐसे ही काम चलता रहा। इस दौरान उसने ऑनलाइन ट्यूटोरियल के जरिए कोड बनाना सीखना शुरू कर दिया। अपनी वेबसाइट के जरिए अद्वैत को सबसे पहले दो क्लाइंट मिले। पहला सतीश हवारे दिव्यांग सेंटर और दूसरा ब्यूटीफुल टॉमोरो फाउंडेशन। ये दोनों एनजीओ थे इसलिए अद्वैत ने बिना पैसे लिए उनके लिए फ्री डिजिटल मार्केटिंग की।

रविन्द्र ने एक इंटरव्यू में अपने बेटे के बारे में कहा था कि वो अपने कोर्स के अलावा प्रोग्रामिंग की किताबें पढ़ता था. वो किताबें जो स्टूडेंट कॉलेज में पढ़ा करते हैं. मैं उसकी प्रतिभा को दुनिया के सामने आना चाहता था और एक पिता होने के नाते मैंने वही किया. अद्वैत कहते हैं कि मैं खास नहीं हूं लेकिन मेरे पिता ने मेरी रूचियों को समझा बस यही खास बात है.

शुरू हुई कामयाबी की जंग

 

इसे जंग ही कहेंगे क्योंकि इतने छोटे बच्चे को बाजार में स्थापित कंपनियों ने स्वीकार नहीं किया। कोई ये नहीं समझ पा रहा था कि आखिर मार्केटिंग के क्षेत्र में एक बच्चा क्या कर सकता है। हालांकि अद्वैत को इन बातों से फर्क नहीं पड़ा। अब तक वे फ्री सेवाएं दे रहे थे पर जब एक विदेशी फाइनेंस कंपनी के लिए उन्होंने वेब पोर्टल तैयार किया और बदले में 400 डॉलर की कमाई हुई तब अद्वैत असल मायने में बिजनेस मैन कहलाया। अपनी पहली कमाई से अद्वैत का आत्मविश्वास कई गुना बढ़ गया।

डीएवी पब्लिक स्कूल के छात्र अद्वैत ने एपेक्स इंफोसिस इंडिया के नाम से अपनी खुद की कंपनी शुरू की। जब अद्वैत अपनी कंपनी के सीईओ बने तब उनकी उम्र महज 12 साल थी। यह एक मान्यता प्राप्त डोमेन नाम रजिस्ट्रार और एक संगठन है बना, जो लोगों को डिजिटल सल्यूशन देने का काम कर रहा है। इसके बाद अद्वैत ने Google के AI और क्लाउड प्लेटफॉर्म के साथ काम करना शुरू किया। यह उनका सबसे बड़ा कॉन्टैक्ट कहलाया। और इसी के दम पर भारत में अद्वैत की कंपनी को प्रतिष्ठित बना दिया। इसके साथ ही वे एक भारतीय कंप्यूटर प्रोग्रामर और टीनेज इंटरनेट उद्यमी बन गए।

सफर लंबा है और सपने बड़े

अद्वैत कहते हैं कि ये बस शुरुआत है और वे अपनी कंपनी को दुनिया की लीडिंग कंपनीज में शामिल करना चाहते हैं। अद्वैत को ये प्रेरणा मार्क जुकरबर्ग से मिली है। एपेक्स इंफोसिस घरों और व्यवसायों के लिए स्वचालन और नेटवर्किंग सिस्टम की एक अग्रणी प्रदाता कंपनी बना दी गई है।जो प्रकाश, ऑडियो, वीडियो, जलवायु नियंत्रण, इंटरकॉम और सुरक्षा सहित जुड़े उपकरणों को नियंत्रित करती है। कुल मिलकार अगर किसी को किसी भी तरह का डिजिटल समाधान चाहिए तो वो सब यहां मिलेगा।

वेबसाइट बनने और कंपनी की स्थापना के बाद अद्वैत ने ‘टेक्नोलॉजी क्विज़’ नाम से एक एप भी तैयार किया है। बच्चों को विज्ञान और प्रौद्योगिकी के बारे में सभी जरुरी जानकारियां देता है। इस एप की लॉचिंग के दौरान अद्वैत ने कहा था कि मैं अकेला नहीं हूं, हमारे देश में इससे भी कहीं ज्यादा प्रतिभावान बच्चे हैं जिनकी प्रतिभा को उभारने के लिए इस एप को तैयार किया गया। Google सहायक के लिए “ऑटिज़्म अवेयरनेस” नाम का भी एक एप तैयार किया है, जो लोगों को ऑटिज़्म और संबंधित विकारों और उनके लक्षणों के बारे में जानकारी देता है।

अद्वैत ने उस उम्र के ये कमाल कर दिखाया है जब बच्चे ये सोचते हैं कि 10वीं के बाद कौन सा विषय लिया जाए. स्टार्टअप इंडिया के ‘टॉप 10 यंग एंटरप्रेन्योर इन इंडिया 2018’ में अद्वैत अपनी जगह बना चुके हैं। जूम, सीएमओ एशिया और वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ मार्केटिंग प्रोफेशनल्स ने ग्लोबल यूथ मार्केटिंग फोरम के जरिए साल 2019 में सबसे प्रभावशाली यंग मार्केटिंग प्रोफेशनल से भी नवाज जा चुका है। अद्वैत विकिया की यंग आंत्रप्रेन्योर अंडर 20 की 2017 की लिस्ट में चौथे स्थान पर रह चुके हैं

Punam Kumari
Punam Kumari
लिखना प्रोफ़ेशन भी और हॉबी भी। इसलिए लिखकर ही लोगों के दिलों में बसना चाहती हूं। मुझे लिखना, घूमना-फिरना, फ़ोटोग्राफ़ी बेहद पसंद है।
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