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धनतेरस पर पूजे जाने वाले भगवान धनवन्तरि के बारे में ये बाते आप शायद ही जानते हो

भगवान धनवन्‍तरि (Dhanvantari) को चिकित्सा विज्ञान का देवता माना जाता है। भारतीय शास्त्रों और मान्यताओं में उन्हें देवताओं का पारिवारिक चिकित्सक भी कहा गया है। भगवान धनवन्‍तरि के बारे में इन्टरनेट पर तमाम जानकारियां उपलब्ध हैं। जिससे उनकी शक्ति, प्रभाव आदि की जानकारी मिलती है। माना जाता है कि वह आयुर्वेद के रचयिता हैं।

भगवान धनवन्‍तरि उन कम प्रसिद्ध देवी-देवताओं में आते हैं, जिनके बारे में सनातन धर्मावलंबियों को बेहद कम जानकारी है। यहां हम उनके संबंध में कुछ रोचक जानकारियां दे रहे हैं।

1. भगवान धनवन्‍तरि (Dhanvantari) समुद्र मंथन के दौरान निकले 14 रत्नों में से एक हैं। सागर मंथन के दौरान वह अमृत कलश लेकर बाहर निकले थे।

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2. मान्यता है कि धनवन्तरि ने ही सुश्रुत को शल्य-चिकित्सा की विधि के बारे में बताया था।

वैदिक काल में सुश्रुत धनवन्तरि के शिष्य थे। सुश्रुत के बारे में कहा जाता है कि वह दुनिया के सबसे पहले शल्य चिकित्सक थे और उन्होंने सुश्रुत संहिता की रचना की थी।

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3. भगवान धनवन्तरि के पास रोगों को फैलने से रोकने की असीम शक्ति है।

यही नहीं, मान्यताओं के मुताबिक उनके पास ऐसे रोगों का भी इलाज उपलब्ध है, जिन्हें ठीक नहीं किया जा सकता।

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4. महाभारत में उन्हें देवोदासा, कासीराजा कहा गया है।

उनके पास मृत व्यक्ति को भी जीवित करने की औषधि, अर्थात अमृत है।

5. संस्कृत की एक प्राचीन पुस्तक विष्णुधर्मोत्तरा के मुताबिक भगवान धनवन्तरि चारों हाथों वाले सुन्दर व्यक्तित्व के धनी हैं।

वह अपने एक हाथ में अमृत धारण करते हैं। और तीन अन्य हाथों में शंख, चक्र और जोंक।

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6. हिन्दू धर्म को मानने वाले भगवान धनवन्तरि का जन्मदिन दीपावली से दो दिन पहले धनतेरस को मनाते हैं।

आर्युवेद में रुचि रखने वाले उनका जन्मदिन बड़े ही धूम-धाम से मनाते हैं।

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7. उत्तर भारत में भगवान धनवन्तरि का कोई मंदिर मौजूद नहीं है।

भगवान धनवन्तरि की एक प्रतिमा नई दिल्ली स्थित सेन्ट्रल कॉउन्सिल पर रिसर्च इन आयुर्वेद के दफ्तर में मौजूद है। उनकी दूसरी प्रतिमा हरिद्वार के एक आश्रम में रखी गई है।

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8. दक्षिण भारत के केरल और तमिल नाडु राज्यों में भगवान धनवन्तरि के कई मंदिर मौजूद हैं। इन राज्यों में आयुर्वेद से इलाज की परम्परा रही है।

9. कहा जाता है कि भगवान धनवन्तरि का सबसे पुराना मंदिर 12वीं सदी में निर्मित किया गया था।

इसे रंगनाथस्वामी मंदिर के रूप में जाना जाता है। यहां आने वाले भक्तों को प्रसाद के रूप में जड़ी-बूटी दी जाती है।

10. भगवान धनवन्तरि के भक्त यह मानते हैं कि उनके पास सर्पदंश का इलाज है।

यहां तक कि वह किसी भी जहर से लोगों को मुक्त कर सकते हैं।

11. धनवन्तरि के बारे में मान्यता है कि वह भगवान विष्णु के एक रूप हैं।

उन्हें काशी का राजकुमार भी कहा जाता है, जिसका अवतरण अपने अनुयायियों को रोग-मुक्त करने के लिए हुआ है।

12. आयुर्वेद पर तमाम ग्रंथ उपलब्ध हैं। इनमें से सबसे पुराना ग्रंथ है धनवन्तरि निघंटू। मान्यता है कि इस ग्रंथ की रचना भगवान धनवन्तरि ने खुद की थी।

यह ग्रंथ चिकित्सा विज्ञान में उपलब्ध दुनिया की सबसे प्राचीन ग्रंथ है। इसके तीन खंड हैं। इनमें 373 औषधियों और जड़ी-बूटियों की जानकारी दी गई है।

मौजूदा समय में धनवन्तरि (Dhanvantri ) मेडिकल फाउन्डेशन प्रतिवर्ष चिकित्सा के क्षेत्र में अपना अभूतपूर्व योगदान देने वाले व्यक्ति को धनवन्तरि अवार्ड से सम्मानित करता है।

वर्ष 2014 में यह अवार्ड डॉ. रुस्तम पी. सूनावाला को प्रसूति और स्त्री रोग पर उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए दिया गया था।

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Abhishek Kumar Verma
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